त्योहारी सीजन में 78% जहरीली हुई हरियाणा की हवा, रेड जोन में पहुंचे नौ जिले; भिवानी में 10 गुना पॉल्यूशन

LHC0088 2025-10-23 17:42:59 views 785
  

हरियाणा में प्रदूषण का कहर: त्योहारों से पहले हवा हुई जहरीली (जागरण फोटो)



जागरण टीम, हिसार। प्रदेश में त्योहारों से पहले बढ़ना शुरू हुआ प्रदूषण अब गंभीर रूप ले चुका है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड(सीपीसीबी) की 19 से 22 अक्टूबर 2025 तक की रिपोर्टों से स्पष्ट है कि प्रदेश की हवा लगातार जहरीली होती जा रही है। इस बार पराली जलाने के मामले घटे हैं, लेकिन प्रदूषण उम्मीद के विपरीत बढ़ गया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

स्थिति यह है कि राज्य के नौ जिले रेड जोन में पहुंच चुके हैं, इनमें अंबाला, फतेहाबाद, यमुनानगर, भिवानी, चरखी दादरी, धारूहेड़ा, जींद, नारनौल और रोहतक शामिल हैं।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले कुछ वर्षों की तुलना में इस बार पराली जलाने के केस 97 प्रतिशत तक घटे हैं। इसके बावजूद पिछले चार दिनों में प्रदेश का औसत एक्यूआइ 180 से बढ़कर 320 तक पहुंच गया, यानी करीब 78 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। जिन जिलों में पराली जली नहीं, वहां औद्योगिक धुआं, वाहन उत्सर्जन और कम हवा की गति ने हालात बदतर कर दिए।

विशेषज्ञों का कहना है कि हवा में सूक्ष्म कण (पीएम 2.5) का स्तर सामान्य से कई गुना बढ़ गया है। दीवाली के बाद अब प्रदूषण पर नियंत्रण की कोशिशें असरहीन साबित हो रही हैं। ऐसे में संभावना है कि राज्य के कई जिलों में ग्रेप के तीसरे चरण की पाबंदियां लागू करनी पड़ें।

अक्टूबर के तीसरे सप्ताह के दौरान प्रदेश में वायु गुणवत्ता लगातार बिगड़ती रही, परंतु यह गिरावट पूरे राज्य में समान नहीं थी। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की 19 से 22 अक्टूबर तक की रिपोर्टों के विश्लेषण से स्पष्ट है कि प्रदेश के दक्षिणी और मध्य क्षेत्र सबसे अधिक प्रदूषण से प्रभावित रहे, जबकि उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्र अपेक्षाकृत कम प्रभावित दिखे। आप भी प्रदेश के जोन अनुसार इस रिपोर्ट को पढ़ें।
भिवानी-यमुनानगर में स्थिति गंभीर हो रही

प्रदेश के शीर्ष पांच सबसे गंभीर स्थिति बनने वाले जिलों में अंबाला, फतेहाबाद, यमुनानगर, भिवानी और पानीपत हैं। इनमें 19 से 22 अक्टूबर 2025 के बीच वायु गुणवत्ता लगातार गिरती रही।

अंबाला का एक्यूआइ 147 से बढ़कर 312, फतेहाबाद का 147 से 305, यमुनानगर का 102 से 320, भिवानी का 33 से 331 और पानीपत का 118 से 259 तक पहुंच गया। भिवानी में चार दिन में 10 गुना तक प्रदूषण का स्तर बढ़ गया है। यमुनानगर में 203% की वृद्धि दर्ज की गई है। इसके अलावा पानीपत में भी औसत 119% की वृद्धि हुई है।
राहत: जींद और बहादुरगढ़ में 25 प्रतिशत तक घटा प्रदूषण

21 अक्टूबर से 22 अक्टूबर शाम चार बजे के बीच वायु गुणवत्ता में सबसे अधिक सुधार जींद, बहादुरगढ़, गुरुग्राम, फरीदाबाद और नारनौल में दर्ज किया गया। इन जिलों में औसतन 20 से 27 प्रतिशत तक प्रदूषण घटा। जींद में सबसे बड़ा सुधार दिखा, जहां एक्यूआइ 421 से घटकर 319 पर आ गया। बहादुरगढ़ में 99 अंकों की कमी और गुरुग्राम में लगभग 24 प्रतिशत सुधार दर्ज हुआ।

फरीदाबाद और नारनौल में भी हवा कुछ हद तक साफ हुई। विशेषज्ञों के मुताबिक, इन जिलों में हवा की गति बढ़ने और स्थानीय औद्योगिक गतिविधियों में कमी के चलते यह सुधार संभव हुआ। हालांकि, राहत के बावजूद हवा अब भी बहुत खराब श्रेणी में ही बनी हुई है।
मध्य हरियाणा (जींद, रोहतक, करनाल, सोनीपत, कैथल) एक्यूआइ 69% बढ़ा

इस क्षेत्र में स्थिति चिंताजनक रही। जींद का एक्यूआइ 421 तक पहुंचा, जो एक रियल टाइम में पूरे देश का सबसे खराब स्तर रहा। रोहतक और सोनीपत में भी लगातार 300 से ऊपर एक्यूआइ दर्ज हुआ। करनाल और कैथल में स्थिति थोड़ी बेहतर रही, लेकिन खराब श्रेणी से ऊपर नहीं उठ सकी। इस क्षेत्र पराली जलाने की घटनाओं और वाहनों के धुएं से सबसे अधिक प्रभावित रहा। जींद में दीवाली पर 15 जगह पराली जली थी
पश्चिम हरियाणा (हिसार, फतेहाबाद, सिरसा, भिवानी, चरखी दादरी) एक्यूआइ 166% बढ़ा

यहां प्रदूषण का स्तर मध्यम से लेकर बहुत खराब तक रहा। भिवानी (331) और फतेहाबाद (305) में हवा की गुणवत्ता 22 अक्टूबर को बिगड़ी। हिसार और सिरसा में स्थिति थोड़ी स्थिर रही। पश्चिम हरियाणा का प्रदूषण मुख्यतः पराली और औद्योगिक उत्सर्जन से जुड़ा है। भिवानी और चरखी दादरी मे क्रेशर जोन में खनन को भी इसका जिम्मेदार माना जा रहा है।
उत्तर हरियाणा (अंबाला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, पंचकूला) एक्यूआइ 116% बढ़ा

यह क्षेत्र तुलनात्मक रूप से बेहतर स्थिति में रहा, हालांकि सप्ताह के अंत तक यहां भी गिरावट दर्ज की गई। 22 अक्टूबर को अंबाला (312) और यमुनानगर (320) में एक्यूआइ बहुत खराब श्रेणी तक पहुंच गया।
अंबाला में दोगुने स्तर तक खराब हुई है हवा

  • अंबाला में चार दिनों में हवा की गुणवत्ता लगभग दोगुनी खराब हुई। अंबाला, जो पहले अपेक्षाकृत स्वच्छ इलाकों में था, 22 अक्टूबर तक बहुत खराब श्रेणी में पहुंच गया है।  
  • फतेहाबाद में पराली जलाने और औद्योगिक उत्सर्जन से लगातार गिरावट आई। चार दिनों में एक्यूआइ में 100 से अधिक अंकों की बढ़ोतरी दर्ज हुई है।  
  • यमुनानगर जिला पहाड़ी अंचल में होने के बावजूद अब प्रदूषण की चपेट में है। सप्ताह के अंत तक हवा बहुत खराब श्रेणी में चली गई है।  
  • भिवानी में पिछले चार दिनों में एक्यूआइ लगभग दस गुना बढ़ गया। यह वायु गुणवत्ता में सबसे तेज गिरावट वाला जिला बना है
  • पानीपत में लगातार चारों दिनों में एक्यूआइ में बढ़ोतरी दर्ज की गई। यहां प्रदूषण का स्तर निरंतर खराब से बहुत खराब श्रेणी में पहुंचा है।
  • धारूहेड़ा व नारनौल जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में भी मामूली राहत मिली, पर हवा अब भी बहुत खराब श्रेणी में है। जींद के बाद धारूहेड़ा राष्ट्रीय स्तर पर शीर्ष पर था।



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